प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर करने ठोस उपाय


मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 2025 तक एक  ट्रिलियन डॉलर बनाये जाने के लक्ष्य प्राप्ति में निर्यात क्षेत्र की उत्तरोत्तर वृद्धि व योगदान को सुनिश्चित करने हेतु ठोस रणनीति बनाये जाने के निर्देश श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नन्दी’ कैबिनेट मंत्री, अवस्थापना व औद्योगिक विकास, निवेश प्रोत्साहन, एन.आर.आई. तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग, उ0प्र0 ने विभागीय अधिकारियों को दिये। 

      श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नन्दी’ ‘‘शिक्षा क्षेत्र से निर्यात को प्रोत्साहन’’ विषय पर होटल सेन्ट्रम, सुशांत गोल्फ सिटी में आयोजित कार्यशाला में शिक्षा के क्षेत्र के प्रख्यात स्टेकहोल्डर्स को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मंत्री जी ने कहा कि गर्व का विषय है कि हमारा उत्तर प्रदेश विनिर्माण व निर्यात के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित करने में सफल रहा है। देश से होने वाले निर्यात में 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ यह देश का पांचवा सबसे बडा निर्यातक राज्य है। विगत 5 वर्षों में प्रदेश का निर्यात 88 हजार करोड़ रू0 से बढ़कर 156 लाख करोड़ रू0 हो गया है। निर्यात में हुई यह वृद्धि अभूतपूर्व है तथा इसे निरन्तर बढ़ाये जाने हेतु प्रदेश सरकार कृतसंकल्पित है।
इस अवसर पर मंत्री जी ने कहा कि शासन द्वारा समय-समय पर यह भी अनुभूत किया गया है कि विनिर्माण के साथ सेवा क्षेत्र में होने वाले निर्यात को सर्वाेच्च प्रथमिकता के आधार पर प्रोत्साहन दिया जाना निर्यात में लक्षित वृद्धि प्राप्त करने हेतु अपरिहार्य है और यही कारण है कि फरवरी 2018 में केन्द्र सरकार द्वारा सेवा क्षेत्र से होने वाले निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए आरम्भ की गई चौम्पियन सर्विस सेक्टर स्कीम के पांच सेक्टर क्रमशः मेडिकल वैल्यू ट्रैवल, पर्यटन, शिक्षा, आईटी/आई.टी.ई.एस व लॉजिस्टिक्स प्रदेश सरकार द्वारा प्रथम चरण में चयनित किये गये हैं तथा जिनके स्टेकहोल्डर्स से निरन्तर संवाद स्थापित करते हुए ठोस रणनीति निर्धारण व कार्यान्वयन की कार्यवाही गतिमान है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में विदेशी छात्रों को अध्ययन हेतु आकर्षित करने की पर्याप्त सामर्थ्य विद्यमान है। आवश्यकता है, तो इस सामर्थ्य को छात्रों की महत्वकांक्षाओं, अपेक्षाओं व वित्तीय क्षमताओं के अनुकूल बनाये जाने की। अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता व मानकों के अनुरूप व पाठ्यक्रम का विकास, उसमें समय सापेक्ष सुसंगत सुधार सुनिश्चित करना, प्रत्येक छात्र के सर्वांगीण वैयक्तिक व बौद्धिक विकास के अनुरूप समावेशी कक्षा का वातावरण सृजित करना, जरूरतमंद छात्रों को सरलतापूर्वक आवश्यक छात्रवृत्ति उपलब्ध कराना, उनके भविष्य को सुरक्षित करने हेतु कैम्पस सेलेक्शन/जॉब फेयर आयोजित कराना, प्रत्येक कोर्स हेतु निर्धारित कैलेन्डर एक वर्ष अग्रिम में जारी करते हुए सख्ती से अनुपालन कराना, छात्रों को व्यावहारिक पहलुओं पर केन्द्रित नियमित एक्सपोजर विजिट कराना, विदेशी छात्रों की समस्त समस्याओं के समाधान हेतु प्रत्येक शैक्षिक संस्थान में सहायता के लिए केन्द्र स्थापित करना आदि ऐसे मानक हैं, जो प्रदेश स्थित शैक्षिक संस्थानों की
यू0एस0पी0 को समृद्ध करने तथा छात्रों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन करेंगें।
इस अवसर पर मंत्री जी ने कार्यशाला में उपस्थित प्रख्यात शिक्षाविदों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनके बहुमूल्य सुझावों को नोट किया गया है तथा उनको पूर्णतः समाहित करते हुए शिक्षा के क्षेत्र मे विदेशी छात्र को प्रदेश स्थित शैक्षिक संस्थानों में अध्ययन हेतु प्रेरित करने के लिए एक ठोस रणनीति बनाई व कार्यान्वित की जाएगी।
कार्यशाला में श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग, उ0प्र0 ने अवगत कराया कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर बनाये जाने के लिए आवश्यक है कि प्रदेश से निर्यात को बढ़ाया तथा आयात को घटाया जाये। उन्होंने कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में प्रदेश अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर चुका है। सेवा क्षेत्र में निर्यात को प्रोत्साहन देने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा को प्रथम चरण में एमवीटी, आईटी एण्ड आईटीईएस पर्यटन, लाजिस्टिक्स व पर्यटन के साथ चुना गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा निर्यात को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए वर्तमान में संचालित पाठ्यक्रमों को और बेहतर किया जा सकता है, जो बच्चे यहां पढ़ रहे है उन्हें प्लेसमेन्ट उपलब्ध कराकर वैल्यू एडीशन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम विदेश स्थित भारतीय दूतावासो से निरन्तर सम्पर्क में हैं। शिक्षा निर्यात से सम्बन्धित शैक्षिक संस्थानों के परामर्श/सुझावों तथा समस्याओं को समझने के लिए यह वर्कशाप आयोजित की गयी है ताकि आवश्यक नीति निर्माण, हैण्ड होल्डिंग सपोर्ट में इनका समावेश किया जा सके। उन्होंने निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो द्वारा संचालित “विपणन विकास सहायता योजना’’ मे शिक्षा निर्यात को सम्मिलित करने हेतु आवश्यक निर्देश दिए।
इस अवसर पर श्री आलोक कुमार, अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा ने स्टेकहोल्डर्स को सम्बोधित करते हुए कहा कि शासन की भूमिका मुख्यतः फैसिलिटेटर की है, इसके लिए शैक्षिक संस्थानों द्वारा अनुभूत बॉटलनेक्स का समाधान करने के लिए शासन प्रदेश सरकार/केन्द्र सरकार से सम्पर्क कर सभी आवश्यक समाधान सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-22 के मध्य प्रदेश में डॉक्टर्स, नर्सेस, पैरामेडिकल्स शिक्षा हेतु सीटों तथा शैक्षिक संस्थानों की संख्या दोगुनी हो गयी है। उन्होंने दो सूत्री रणनीति के द्वारा शिक्षा निर्यात को बढ़ावा देने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि विदेशी छात्रों को प्रदेश में अध्ययन हेतु प्रेरित किया जाये तथा यहां प्रशिक्षित छात्रों को विदेश में कैरियर प्लेसमेंट उपलब्ध कराया जाये।
कार्यशाला में श्री सुभाष चन्द्र शर्मा, प्रमुख सचिव, तकनीकी शिक्षा ने आवश्यकता आधारित न्यू एज कोर्सेज के विकास की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यशाला में श्री मनोज कुमार विशेष सचिव, उच्च शिक्षा सहित श्री पी.के. मिश्रा, कुलपति, ए.के.टी.यू.; श्री अरुण कुमार सिंह, कुलपति, अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइन्सेस, लखनऊ; डॉ॰ क्षितिज अवस्थी, आई.आई.एम. लखनऊ; सुश्री  पूनम टण्डन, डीन स्टूडेन्ट वेलफेयर, लखनऊ विश्वविद्यालय; डॉ॰ सुनील धनेश्वर, कुलपति, एमीटी यूनिवर्सिटी; श्री अशोक दरयानी, डॉयरेक्टर (इन्टरनेशनल डिविजन), शारदा यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा; श्री अतुल भारद्वाज, उपाध्यक्ष, एबीएसएस इन्सीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी, मेरठ; श्री ई.एस. चार्ल्स, प्रेसीडेन्ट, आई.टी. कॉलेज सोसाइटी, लखनऊ आदि सभी वक्ताओं ने शिक्षा की गुणवत्ता व एक्रिडिटेशन, ब्राण्डिंग, मार्केटिंग व क्रेडिबिलिटी बढ़ाये जाने पर जोर दिया। कार्यशाला में प्रदेश के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानो के प्रख्यात शिक्षाविदों,  सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग, उ0प्र0 विभाग तथा उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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