अब होगा पूर्वांचल में पर्यटन विकास

 

पर्यटन विभाग द्वारा पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों एवं जनपद फिरोजाबाद के पर्यटन विकास की योजनाओं के लिए धनराशि का आकलन करके अग्रेतर कार्यवाही तेजी से पूरा करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये हैं। जिन जनपदों में पर्यटन विकास की योजनायें तैयार की गई हैं, उनमें बस्ती, वाराणसी, गाजीपुर, महराजगंज, देवरिया, अमेठी शामिल हैं। 

यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि जनपद बस्ती में विक्रमजोत ग्राम पंचायत देवखग में स्थित झारखंडी मंदिर के विकास के लिए 83.25 लाख रूपये की योजना तैयार की गयी है। इसी प्रकार वाराणसी में संत गुरू रविदास जी की जन्म स्थली सीरगोवर्धन के पर्यटन विकास के अंतर्गत पार्क के विकास के लिए 492.98 लाख रूपये का आकलन तैयार कराया गया है।
श्री जयवीर सिंह ने बताया कि जनपद वाराणसी में ट्रामा संेटर से रविदास मंदिर तक 2350 मीटर सड़क का निर्माण, रविदास मंदिर मोड़ से एन0एच0 रोड तक प्रस्तावित 12 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण तथा बी0एच0यू0 से बाया बाबा रविदास मंदिर एन0एच0 रोड तक सुदृढ़ीकरण के कार्य के लिए प्रस्ताव एवं धनराशि का आकलन करा लिया गया है। इन कार्यों पर एक बड़ी धनराशि व्यय की जायेगी।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि जनपद गाजीपुर ग्रामसभा सिधौना पो0 रामपुर में गोमती स्थित महान संत श्री पवहारी बाबा के हाथों स्थापित प्राचीन सिद्धनाथ मंदिर एवं तालाब कार्य के लिए   127.70 लाख रूपये का आकलन तैयार कराया गया है। इसी प्रकार जनपद महराजगंज में स्थित बौद्ध स्थल रामग्राम के पर्यटन विकास के लिए 893.49 लाख रूपये, ईको-टूरिज्म के अंतर्गत महराजगंज में सोहगीबरवां वन्य जीव अभ्यारण स्थल के पर्यटन विकास के लिए 908.69 लाख रूपये का आंकलन तैयार कराया गया है।
श्री जयवीर सिंह ने यह भी बताया कि जनपद देवरिया के ग्राम रामपुर दुबे बेलवा बाजार में स्थित प्राचीन मंदिर स्थल के जीर्णोद्धार कार्य हेतु 55.99 लाख रूपये तथा जनपद अमेठी में बाबा गोरखनाथ जी की तपोस्थली जायस का पर्यटन विकास के लिए 2493.47 लाख रूपये एवं जनपद फिरोजाबाद स्थित साम्भौर बाबा स्थल के पर्यटन विकास के लिए 478.57 लाख रूपये का आकलन तैयार कराया गया है। उन्होंने बताया कि इसके लिए शीघ्र ही स्वीकृत प्रदान कर निर्माण कार्य शुरू करा दिया जायेगा।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा