उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक का नया कीर्तिमान

उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। नाबार्ड द्वारा उ0प्र0 कोआपरेटिव बैंक लि0 को इस वर्ष, गत् वर्ष की अपेक्षा उच्च श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है, जिससे उ0प्र0 कोआपरेटिव बैंक लि0, देश के टॉप 10 राज्य सहकारी बैंकों में सम्मिलित हो गया है। यह जानकारी देते हुए प्रदेश के सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जे0पी0एस0 राठौर ने कहा कि वर्तमान समय में देश में कुल 33 राज्य सहकारी बैंक कार्यरत है। इनमें उत्तर प्रदेश को 09वें स्थान मिला है।  उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक लि0 की यह उपलब्धि प्रदेश के सहकारिता के लिये गौरव की बात है। श्री राठौर ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी जी के कुशल निर्देशन एवं विभागीय अधिकारियों/कर्मचारियों की कड़ी मेहनत एवं अथक प्रयासों से यह संभव हुआ है। इसके लिए उन्होंने विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों एवं खाताधारकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। 

सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब से उत्तर प्रदेश  कोआपरेटिव बैंक चालू हुआ है तब से हमारे पास केवल 27 शाखायें थीं। इसमें वृद्धि करते हुए 13 अन्य शाखाओं को खोला गया है, जिससे अब कुल 40 शाखायंे हो गई हैं। उन्होंने बताया कि बैंक की वित्तीय वर्ष 2021-22 की बैलेन्स शीट के आई0एल0आर0 (Internal Lendable Resources) रू0 11,014.62 करोड़ हैं। उ0प्र0 कोआपरेटिव बैंक के उच्च श्रेणी में वर्गीकृत होने से कई सुगमतायें मिलेगी। बैंक का सेक्टरवाइज ऋण का एक्सपोजर 40 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत रू0 5507.31 करोड़ हो जायेगा। इससे न केवल बैंक के प्रति ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि व्यवसाय में भी वृद्धि होगी।
श्री राठौर ने कहा कि उ0प्र0 कोआपरेटिव बैंक द्वारा खाताधारकों को राष्ट्रीयकृत बैकोें की तरह ही सुविधायें प्रदान की जायेगी। उन्होंने कहा कि बैंक द्वारा इस वर्ष प्रारम्भ की गयी इण्टरनेट बैंकिंग व मोबाइल बैंकिंग के अन्तर्गत आईएमपीएस की सेवायें प्रारम्भ कर दी गयी हैं तथा शीघ्र ही यूपीआई की सेवायें भी प्रारम्भ कर दी जायेंगी। इस प्रकार डिजिटल बैंकिंग की सेवाओं से लोगों में बैंक के प्रति आकर्षण बढ़ा है तथा इससे ग्राहक बैंक में आये बिना बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं, जिससे डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा मिल रहा है।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा