20 अक्टूबर से शुरू करें अगेती गेहूं की बुवाई

गेहूं के उत्पादन से जुड़ी खास जानकारी

अपने देश में खरीफ मौसम आखिरी पायदान पर हैं। धान की फसल पककर लगभग कटाई योग्य हो गई हैं, इन दिनों उत्तर प्रदेश में जहाँ खरीफ फसल धान की कटाई की तैयारी का रहे है, वहीं देश के कई राज्यों में धान की कटाई - मड़ई करके अपने उत्पाद को मण्डी पहुँचा रहे है। इसी बीच भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद  ने रबी मौसम के लिए अपनी सलाह जारी की है। सलाह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद  (ICAR) ने किसानों को रबी सीजन में गेहूं की बुवाई के लिए किसानों को तैयार रहने को कहा है।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने किसानों को अगेती गेहूं की प्रजाति की बुवाई 20 अक्टूबर से प्रारम्भ करने की सलाह भी दी है। इसके साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद  ने गेहूं की बुवाई के वक्त बरती जाने वाली सावधानियां, अधिक उत्पादन के प्रभावी तरीकों की भी जानकारी दी है। 

खरीफ फसलों की कटाई के कटाई के उपरान्त सात दिनों अंदर करें खेत की जुताई

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने अपनी सलाह में बताया कि खरीफ फसलों की कटाई करने के बाद सात दिनों के अंदर खेत की जुताई करे। हालांकि किसानों को खेत की गहरी जुताई करने से मना किया गया है। क्योंकि गहरी जुताई करने के कारण बुवाई के समय बीज जमीन में अधिक गहराई में चले जाते है जिससे बीज में उचित अंकुरण नहीं होता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने बताया कि यदि किसी किसान का खेत खरीफ फसलों की कटाई के उपरान्त सूख गया है, तो ऐसे दशा में खेतों की जुताई करने से पहले खेत की सिंचाई करना करना पड़ेगा जिससे फसल की लागत तो बढ़ेगी ही साथ फसल बुआई में देर होगी । 

गेहूं की अगेती प्रजातियों की बुवाई दस नवम्बर तक कर दे 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने किसानों को गेहूं की अगेती प्रजाति की बुवाई 20 अक्टूबर से 10 नवंबर के मध्य करने की सलाह दी है। गेहूं की अगेती प्रजाति की बुवाई 20 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच करने पर सिर्फ एक सिंचाई करने की आवश्यकता होगी। इसी प्रकार भारतीय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने समय से होने वाली गेहूं की बुवाई के लिए 10 नवंबर से 25 नवंबर तक का समय निर्धारित किया है। इनमें 4 से 5 सिंचाई करने की सलाह दी गई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देर से गेहूं की बुवाई (पछेती प्रजाति) के गेहूं की बुवाई दिसंबर में करने की सलाह दी है, पछेती प्रजाति के गेहूं को भी 4 से 5 सिंचाई की आवश्यकता होगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने जारी की गई अपनी सलाह में स्पष्ट किया है कि समय से पहले गेहूं की बुवाई करने से उत्पादन में कमी हो सकती है।

प्रमाणित बीजों का ही करें प्रयोग

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने कृषक सलाह में कहां कि किसानों को गेहूं की बुवाई के लिए रोगरोधी व प्रमाणित बीजों का प्रयोग ही करें। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने अपनी सलाह में कहा है कि बीजों का चयन करते समय एक ही प्रजाति के बीजों का प्रयोग करें। दो प्रजातियों के बीजों को एक साथ नहीं मिलाएं। वहीं किसानों को प्रमाणित बीज नहीं होने पर बीजों को उपचारित करने की सलाह दी है। बीजों को प्रमाणित करने के लिए थीरम और कैप्टॉन का उपयोग कर सकता है। बीज उपचार करने की इस प्रक्रिया के बाद बीज को छाया में सूखाना चाहिये और बीज अच्छी तरह से सूखाने के बाद ही खेतों में इसकी बुवाई करनी चाहिए।

गेहूं की फसल में ध्यान देने योग्य बातें

* गेहूं की बुवाई ससमय से एवं पर्याप्त नमी होने में ही करें।

* गेहूं की बुवाई सुपर सीडर, जीरोट्रिल सीडड्रिल अथवा सीडड्रिल मशीन से करने पर उर्वरक एवं बीज दोनों की बचत की जा सकती है।

* गेहूं की फसल के लिए 6 से 7.5 पीएच मान वाली दोमट व बुलुई दोमट मिट्टी अमधक उपयुक्त होती है।

* गेहूं की खेती के लिए अनुकूल तापमान बुवाई के समय 16 से 25 डिग्री सेंटीग्रेट तक का तापमान उपयुक्त माना जाता है।

* गेहूं की बुवाई करते समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी सामान्य दशा में 18 सेटीमीटर से 20 सेटीमीटर एवं गहराई 5 सेटीमीटर, व देर से बुवाई करने की दशा में 15 से सेटीमीटर से 18 सेटीमीटर तथा गहराई 4 सेटीमीटर रखनी चाहिए।

* गेहूं की बुवाई करते समय एक खेत में एक ही किस्म का चुनाव करें बीजों की प्रजातियों को आपस में मिलाने न दें ।

* अगर आप अपने घर की बीजों की बुवाई कर रहें है तो बुवाई से पहले बीजों का जमाव प्रतिशत जरूर चेक कर ले, किसानों के लिए राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर यह सुविधा निःशुल्क उपलबध है।

* अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए धान की कटाई करने के  तुरन्त बाद गेहूं की बुवाई कर देनी चाहिए।

* बीजों में जल्दी अंकुरण पाने के लिए बीजों को कुछ समय पानी में भिगोकर एवं छाया में सुखाकर बुवाई करना बहुत लाभकारी होता है। इस प्रक्रिया को बीज प्राइमिंग कहते हैं।



 

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