जाने नैनो यूरिया के लाभ

इफको द्वारा विकास भवन सभागार संत कबीर नगर  में सहकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अतुल कुमार मिश्र मुख्य विकास अधिकारी संत कबीर नगर  द्वारा नैनो यूरिया के प्रचार-प्रसार हेतु सहकारी समितियों के अपर सहकारी अधिकारी ,सहायक विकास अधिकारी ,जनपद के समस्त सचिवों को दिशा निर्देश दिए गए, उनके द्वारा सहकारी समितियों के क्षेत्र के गांव में कृषक गोष्ठी कर किसानों को नैनो यूरिया के लाभ के बारे में जानकारी देने के लिए निर्देशित किया गया। किसान नैनो यूरिया का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर सकें इसके लिए इफ़को स्प्रेयर निःशुल्क उपलब्ध करा रहा है इसके लिए इफ़को का आभार ।नैनो यूरिया के प्रयोग से  यूरिया पर खर्च होने वाली अनुदान राशि में कमी की जा सके। इफको के  क्षेत्र प्रतिनिधि श्री अमित पटेल गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए सहकारी  सहकारी समितियों के व्यवसाय विविधीकरण मैं इफको के अन्य उत्पादों के महत्व के बारे में बताया । इफको के इफको जल विलय उर्वरक, जैव उर्वरक, सगरीका आदि उत्पादो के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। जिला सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक श्री हरि प्रसाद द्वारा नए कृषि उत्पादों को कृषको तक पहुंचाने में सहकारिता विभाग के योगदान के बारे में चर्चा की,उनके द्वारा मिट्टी मैं खत्म हो रही उर्वरा शक्ति को एक चिंता बताते हुए सतर्क रहने के सुझाव दिए उन्होंने बताया कि बेहतर उपज के लिए मृदा परीक्षण के साथ-साथ संतुलित उर्वरक प्रयोग भी करना  पड़ेगा ।ज़िला कृषि अधिकारी श्री पी सी विश्वकर्मा ने पास मशीन से ही उर्वरकों की बिक्री करने के निर्देश दिये । डा आर के नायक उपमहाप्रबंधक द्वारा नैनो यूरिया के लाभ ,प्रयोग की विधि व सावधानी पर विस्तृत चर्चा करते हुए जानकारी दी गई कि नैनो यूरिया, दानेदार यूरिया से अधिक कारगर सस्ती एवं पर्यावरण अनुकूल है ।इसके प्रयोग से हमारे देश के लाखों करोड़ों रुपए की अनुदान की राशि की बचत की जा सकती है । उनके द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि दानेदार यूरिया मात्र 30-40 प्रतिशत ही पौधों द्वारा ग्रहण की जाती है बाकी  या तो जल के साथ भूगर्भ जल में चला जाता है या नाइट्रस ऑक्साइड गैस बन कर पर्यावरण में मिल जाता है जो वातावरण को प्रदूषित करता हैं ।जबकि नैनो यूरिया अधिकतर पौधों द्वारा पत्तियों से ग्रहण की जाती है जिससे ना तो भूमि ना ही जल प्रदूषण होता है ,उनके द्वारा अवगत कराया गया कि नैनो यूरिया 4m.l. प्रति लीटर तक सभी फसलों में प्रयोग की जा सकती है ।एक बोतल लगभग 1 एकड़ के लिए पर्याप्त जिसका छिड़काव बुवाई के 45-50 दिन पर करना चाहिए ।कार्यक्रम में लगभग 60 सहकारी समितियों के सचिव एवं कृषक मौजूद रहे।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा