बिहार में कीड़े से फसल नुकसान पर मिलेगा मुआवजा
बिहार सरकार की योजना
देश में सूखा , बाढ़ एवं अधिक वर्षा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को हमेशा से नुकसान होता रहा है। प्राकृतिक आपदाओं व फसल में कीड़े लगने के कारण कभी-कभी तो किसानों की पूरी फसल ही बर्बाद हो जाती है, प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल नुकसान होने से हमारे देश के किसानों की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन काफी कमजोर होती जा रही है। बिहार के किसान अभी भी खेती करने के लिए प्रकृति पर ही निर्भर हैं। बिहार के कुछ हिस्सों में बाढ़ से फसलें बर्बाद हो जाती हैं, तो वहीं कुछ क्षेत्र में समय पर बारिश ना होने के कारण नहीं किसानों को सुखा जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है।प्राकृतिक आपदाओं के चलते किसानों की धान के फसल में भूरा तना मधुआ कीट रोग लग रहा है। ये रोग किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है। इस रोग के कीड़े झुंड में फसलों पर हमला कर कुछ ही घंटों में ही किसानों की फसल चट कर जाते हैं। हालांकि बिहार के किसानों को अब इस कीट को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। इन कीटों की रोकथाम के लिए कृषि मंत्रालय ने खुद पहल की है। इसी कड़ी में बिहार की नीतीश सरकार ने भी कीड़े व अन्य रोगों की वजह से किसानों की फसल नुकसान की भरपाई करने के लिए मुआवजा देने का निर्णय किया हैं। किसान भाईयों आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से आपके साथ बिहार सरकार की इस योजना पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
बिहार में कीट से प्रभावित क्षेत्र
बिहार के भोजपुर, बक्सर, नवादा, औरंगाबाद, नालंदा एवं लखीसराय जिले के किसान इन कीटों के प्रकोप से सबसे अधिक प्रभावित हैं। वहीं बिहार के कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार ने बताया कि भूरा तना मधुआ कीट (बीपीएच) धान की फसल को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा हैं। बिहार कृषि विभाग ने इस कीट से किसानों को निजात दिलाने के लिए कमर कस ली है। बिहार में पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक के पदाधिकारियों की देखरेख में इन कीटों की रोकथाम के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
फसलों को बचाना सरकार की प्राथमिकता
बिहार सरकार के कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि पौधा संरक्षण संभाग द्वारा भूरा तना मधुआ कीट की रोकथाम करने के लिए उपयुक्त कीटनाशकों का प्रयोग करके किसानों की धान की खड़ी फसलों को नुकसान से बचाने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने बताया कि यह कीट धान की तनों से रस चूसकर फसल को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। ये कीट हल्के-भूरे रंग के होते हैं। इन कीटों का जीवन चक्र 15 से 25 दिनों तक का रहता है। इसके शिशु और वयस्क दोनों पौधों के तने के भाग पर रहकर रस चूसते हैं। धान के पौधे से अधिक रस निकलने की वजह से पौधे पीले पड़ जाते हैं तथा जगह-जगह पर चटाईनुमा आकार का क्षेत्र बन जाता है, जिसे ‘हॉपर बर्न’ कहा जाता हैं।
कीटों से निपटने हर सम्भव प्रयास
बिहार के कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार ने बताया कि कीट की अधिकता का प्रमुख कारण मौसम में उतार-चढ़ाव है। साथ ही प्रदेष में पिछले दिनों देर से हुई वर्षा के कारण खेत में नमी होने से तथा किसानों द्वारा यूरिया की संस्तुत मात्रा से अधिक प्रयोग एवं पोटाश की संस्तुत मात्रा से कम प्र्र्र्र्र्रयोग भी इन कीटों के बढ़ने का मुख्य कारण हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा भूरा तना मधुआ कीट के आक्रमण से किसानों के धान की खड़ी फसल के हुए नुकसान का आकलन भी सरकार करा रही हैं। आकलन पूरा होने के बाद इन कीटों की वजह से हुए फसल नुकसान का मुआवजा भी सरकार द्वारा किसानों को दिया जाएगा।