चूनी की रोटी और चटनी
डा. शिव राम पाण्डेय
मिट्टी के चूल्हे पर कण्डे की आंच पर सिंकी चूनी की रोटी पक कर तांबयी रंग की हो जाती है जो कि देखने मात्र से मन को ललचा देती है। चूनी की रोटी जिमीकन्द के अचार,चटनी और दही मक्खन से खायी जाती है। चटनी के साथ इसका स्वाद दो गुना हो जाता है।
सामग्री -विभिन्न दालों जैसे अरहर,चना,मटर,अक्सा और उर्द के छोटे टुकड़ों को चूनी कहते हैं मगर चूनी की रोटी बनाने में अरहर की चूनी की बहुलता होती है।
निर्माण विधि - दाल की चूनी को ठीक से साफ करके रात में पानी में भिगो दीजिए।
सबेरे पानी से बाहर निकल कर उसमें हरी मिर्च, लहसुन, धनिया की पत्ती के टुकड़े हींग और आवश्यकतानुसार नमक मिलाकर गेहूं के आटे के साथ गूंथ लें।
अब चूल्हा जला लें और यथासंभव कण्डे का आग जला कर चूल्हा पर तवा रख दें। उसके बाद बड़ी बड़ी चकयी 200-250 ग्राम की एक, बना कर तवे पर उसकी सिंकायी करें।
तवे पर दो सिंकायी करने के बाद उसे चूल्हे के आगे सेंक लें। रोटी फूल जाये और उसका रंग तांबे जैसा हो जाये तो समझिए आपकी चूनी की रोटी तैयार।
चटनी - लहसुन, धनिया की हरी पत्तियां हरी मिर्च,अदरक और टमाटर एक साथ पीसकर उसमें आवश्यकतानुसार नमक मिला लें, चटनी तैयार।
चूंकि चूनी की रोटी प्रोटीन तत्वों अन्य विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होती इसलिए इसे स्वास्थ्य वर्धक भोजन माना जाता है।
किसान और पशुपालक इस चूनी का इस्तेमाल प्रायः चोकर मे मिला कर पशुओं खास कर बैलों को खिलाने में करते थे, हल-बैल की खेती तो अब रही नहीं और विभिन्न कारणों से दलहनी फसलों की खेती कम हो गयी,दाल निकलने का कार्य अब मशीनों से होने लगा। मिट्टी के चूल्हे अब गांवों से भी बिदा हो गये इसलिए चूनी की रोटी दुर्लभ हो गयी।